स्वामी विवेकानन्द का दृष्टिकोण और भारतीय स्त्री जीवन-भावी पथ

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अात्म - नियन्त्रण सभी के लिए आवश्यक है, किन्तु स्त्रियों के लिए इसकी और अधिक आवश्यक है क्योंकि शक्ति जितनी होती है, उसे सही मार्ग पर रखना भी उतना ही अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यकता होता है। उदाहरण के लिए, परमाणु शक्ति अधिक शक्तिशाली होती है और इसलिए इसकी सुरक्षा व उपयोग के लिए अनेक सुरक्षा उपाय करना आवश्यक होता है। शक्ति के भी अनेक प्रकार होते हैं। जैसे कठिन शक्ति और सौम्य शक्ति, सकल शक्ति और सूक्ष्म शक्ति। स्त्री सौम्य शक्ति और सूक्ष्म शक्ति का भण्डार है और इसकी अभिव्यक्ति आक्रमक शक्ति की अभिव्यक्ति से भिन्न होती है। यदि एक स्त्रि किसी पुरुष से स्पर्धा करती है और अपने मुद्दों को परिवार मे चिख-पुकार के द्वारा, ज़िद करके, अहभाव के साथ प्रभुत्व बनाकर, अधिकार मानकर आक्रमक रुप से रखती है, तो वह अपनी विशेष शक्तियों को खो देती है और परिवार एक लड़ाई मैदान बन जाता है। उसकी शक्तियाँ सूक्ष्म और सौम्य शक्तियाँ हैं, जिससे वह घटनाओं को उसकी इच्छानुसार मोड़ सकती हैं। उसे यह कार्य सही समय की प्रतिक्षा करते हुए धैर्यपूर्वक, सूक्ष्म रुप से, कुशलता-पूर्वक करना चाहिए। उसकी शक्ति प्रेम, समर्पण, धैर्य, त्याग और सहभागिता के माध्यम प्रगट होती है।

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Publication Year 2014
VRM Code 3094
Edition 1
Pages 116
Volumes 1
Format Soft Cover
Author Nivedita Raghunath Bhide
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