भारत माता जगत गुरू
आज पूरे देश में गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है। भारतीय अध्यात्म में गुरु का बहुत महत्व है और बचपन से ही हर माता पिता अपने बच्चे को गुरु का सम्मान करने का संस्कार इस तरह देते हैं कि वह उसे कभी भूल ही नहीं सकता। किन्तु प्रश्न तो यह है कि गुरू कौन है ?
दरअसल सांसरिक विषयों का ज्ञान देने वाला शिक्षक होता है पर जो तत्व ज्ञान से अवगत कराये उसे ही गुरु कहा जाता है। यह तत्वज्ञान श्रीगीता में वर्णित है। इस ज्ञान को अध्ययन या श्रवण कर प्राप्त किया जा सकता है। अब सवाल यह है कि अगर कोई हमें श्रीगीता का ज्ञान देता है तो हम क्या उसे गुरु मान लें? नहीं! पहले उसे गुरु मानकर श्रीगीता का ज्ञान प्राप्त करें फिर स्वयं ही उसका अध्ययन करें और देखें कि आपको जो ज्ञान गुरु ने दिया और वह वैसा का वैसा ही है कि नहीं। अगर दोनों मे साम्यता हो तो अपने गुरु को प्रणाम करें और फिर चल पड़ें अपनी राह पर।
बहुत कटु सत्य यह है कि भारतीय अध्यात्मिक ज्ञान एक स्वर्णिम शब्दों का बड़ा भारी भंडार है जिसकी रोशनी में ही यहाँ ढोंगी संत चमक रहे हैं। इसलिये ही भारत में अध्यात्म एक व्यापार बन गया है। श्रीगीता के ज्ञान को एक तरह से ढंकने के लिये यह संत लोग लोगों को सकाम भक्ति के लिये प्रेरित करते हैं। श्रीगीता में भगवान ने अंधविश्वासों से परे होकर निराकर ईश्वर की उपासना का संदेश दिया ! कर्म का महान सन्देश देते हुए श्री कृष्ण भी संभवत: हमारा ध्यान व्यवहारिक जीवन में राष्ट्र भक्ति की इंगित करते है ! ऋषी रूप में त्यागी पुरुषों व मनीषियों पर श्रद्धा यह तो हमारे देश के रक्त में विद्यमान है अस्तु आज के दिन व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक की आस्था के केंद्र को प्रणाम किन्तु फिर भी आज के परिप्रेक्ष्य में गुरु के वास्तविक स्वरुप को समझना होगा, हमें जीवन मूल्य व जीवन तत्त्व देने वाली भारत माता जिसकी गोदी में मानव ने जीवन जीने की कला सीखी, जिसकी प्रकृति से आचरण व व्यवहार का ज्ञान मिला जिसके कण कण ने इस मानव जाती का पथ प्रदर्शन किया आज वही जगत जननी विश्व गुरु माँ हमारी ओर निहार रही है,स्वामी विवेकानंद के आह्वान को स्मरण करें तो अब समय पुन: इस राष्ट्र को आराध्य मानने का आ गया है, चरित्र के तप से इसकी पूजा करनी होगी वर्तमान की सभी चुनौतियों का एक मात्र उपाय यही है! स्वामी विवेकानंद सार्धशती समारोह वर्ष में जन जन के मन तक "राष्ट्र देवो भव" की अमिट छाप अंकित करनी होगी ! तो आइये परम पवित्र ॐ कार से प्रेरणा लेकर गुरु पूर्णिमा के अवसर पर "भारत माता जगत गुरु"की रक्षा का संकल्प लेते हुए सादर प्रणाम।
लेकर स्वामी जी की वाणी
गति हामारी हो तूफानी …..