अग्निशिखा भगिनी निवेदिता
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अपने समाज बन्धुअों के प्रति अनुकम्पा, सहानुभूति ये गुण विकसित करने का दायित्व हर माँ का है। उसके लिये विशेष रुप से प्रयत्नशील होना चाहिए। इस गुण के विकास से उन्हें दूसरों के दुख दर्द सहजता से समझ में अायेंगे। अपने देश पर किस प्रकार का व कैसा संकट अाया है वह भी समझ पायेंगे। इन्हीं में से उत्तम कार्यकर्ता तैयार होंगे। ये कार्यकार्ता देश के लिये तथा देशवासियों के लिए प्राणों की बाजी लगावेंगे । अाज तक इस देश ने हमें जो भी दिया है उसके प्रति हमारे मन में कृतज्ञता होनी चाहिए। इस माता ने हमें अन्न-जल दिया, मित्र दिये, धर्म, समाज, संस्कृति दी, जीवन विषयक श्रध्धा दी। यही तो अपनी माता है। उसे अब "महा" माता के रुप में देखना हमें अच्छा नहीं लगेगा क्या?
Publication Year | 2013 |
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VRM Code | 3051 |
Edition | First |
Pages | 174 |
Volumes | 1 |
Format | Soft Cover |
Author | Prof. Pramod Dorale |
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