अलासिंग पेरुमल
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अलासिंगजी एक आदर्श शिक्षक थे। वह अपने विषय को इतना अधिक सरल करके समझाते कि, कमजोर से कमजोर विद्यार्थी भी उनके विषय को सहजता से समझ जाता। यह अलासिंगजी का बड़प्पन ही था कि, विद्यालय समय में विद्यार्थीयों को पढ़ने के अतिरिक्त समय में भी उनका मार्गदर्शन किया करते। उनकी दृष्टि में विद्यार्थी उनके लिये ईश्वर के समान था तथा पढ़ाना ईश्वर की पूजा थी। यही कारण था कि अलासिंगजी अपने विद्यार्थीयों के बीच अत्यन्त आदरणीय शिक्षक थे। एक आदर्श शिक्षक के रुप में ही उनका यश सम्पूर्ण चैन्नई में फैल चुका था।
स्वामी विवेकानंद के द्वारा दिये सुझाव को पढ़कर अलासिंगजी ने एक सीख लिया कि चाहे लाख निन्दा अथवा आलोचना हो, किन्तु हमें इन सभी की पूर्णतया उपेक्षा करते हुए मात्र अपने लक्ष्य की ओर ही ध्यान केन्द्रित करना होगा। इस सबक को सीखकर अलासिंगाजी और भी अधिक उत्साह के साथ अपने कार्यों को पूर्ण करने में जुट गये।..................
Publication Year | 2013 |
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VRM Code | 3022 |
Edition | 1 |
Pages | 92 |
Volumes | 1 |
Format | Soft Cover |
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