योग - एकात्म दर्शन पर आधारित जीवन पद्धति

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आज की आधुनिक पीढ़ी बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। अभी तक सारी स्थिति अनाकलनीय लग रही है। इसका परिणाम एक ओर तनावग्रस्त जीवन के कारण मनुष्यों के सम्बन्ध में विभाजन की रेखाएँ दुखपूर्ण दे रही हैं। मानसिक तनावग्रस्ता से मनुष्य की प्रगति रुकी हुई है। अत अपने कष्ट का लाभ, सही आनन्द उसे क्वचित मिलता है। इसलिए योग ही आज अत्याधिक महत्वपूर्ण एवं उपयुक्त है, ऐसा अनुभव हो रहा है । केवल शारीरिक व्यायाम के रुप में सामान्यता: जिसका विपर्यास हुआ है। उस योग के सम्बन्ध में जाग्रति की नितान्त आवश्यकता है। योग केवल आसन या प्राणायाम नहीं। वह एक सशक्त जीवन पद्धति है। एक गतिशील प्रक्रिया है। जिसमें अपना शरीर - मन - बुद्धि के साथ परिवार, समाज, राष्ट्र और सम्पूर्ण सृष्ट्रि एकरुपता में प्रकट होती है। हमें सम्पूर्ण आशा है कि प्रस्तुत पुस्तक योग एकात्मिक दृष्टि के जीवन पथ का आधार स्तम्भ पाठकों को योग का तत्त्वज्ञान और योगाभ्यास के सन्दर्भ में स्पष्ट एवं यथायोग्य आंकलन के लिए सहयोगी बन जाएगी।
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