भारत जागो ! विश्र्व जगाओ !
₹15.00
In stock
SKU
BBB00026
सन् १८९३ में शिकगो में आयोजित विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानन्द का उद् बोधन सुनकर और उसके बाद अमरिका व यूरोप की उनकी यात्रा के दौरान उनके भाषणों से पश्चिमी विश्व क्यों उत्तेजना से भर उठा था ? कोलम्बो से अल्मोड़ा तक भेजे गए उनके पत्रों और भाषणों के माध्यम से उन्होंने हमें क्या संदेश दिया था ?
१५० वीं जयन्ती का यह समारोह वैश्विक परिदृश्य तथा इसमें भार की भूमिका पर गहन मंथन का अवसर है। यह स्वामी विवेकानन्द के जीवन और संदेश तथा आवश्वक रुप से, भारत के प्राचीन ऋषियों द्वारा बताये गए -" कृण्वन्तो विश्वं आर्यम् " - अर्थात् समस्त विश्व को सुसंस्कृत बनाएं।
इस समारोह का ध्येय - वाक्य है, भारत जागो, विश्व जगाओ । प्रस्तुत पुस्तक इस ध्येय - वाक्य के वैज्ञनिक आधारों का परीक्षण एवं विस्तृत वर्णन करती है। इससे भी आगे बढ़कर यह सिद्ध करती है कि भारत का दृष्टिकोण, अस्तित्व की एकात्मता का दृष्टिकोण और इस संदेश का प्रसार-जो कि उसके अस्तित्व का उद्देश्य है - ही सर्वसमावेशक शान्ति, सद्भाव एवं विकास का एकमात्र तार्किक व चिरस्थायी मार्ग है।
Publication Year | 2012 |
---|---|
VRM Code | 3004 |
Edition | 1 |
Pages | 64 |
Volumes | 1 |
Format | Soft Cover |
Author | Nivedita Raghunath Bhide |
Write Your Own Review