पथदर्शिका

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कोई भी व्यक्ति कभी भी बहुत अधिक कार्य नहीं करता है और न ही वह बहुत अधिक दबाव सहन करता है। जब वह कहता है, कि उसके पास कार्याधिक्य है इसका यह आशय नहीं होता कि वह अपनी सुविधा के दायरे को लांघकर, शारीरिक रुप से या अन्यथा, प्रयासरत है। लेकिन, क्या यह सत्य नहीं है कि हर ऐसे व्यक्ति को, जो प्रगति की तीव्र उत्कण्ठा पाले हुए है, या जो निपुणता प्राप्त करना चाहता हे, या कुछ बड़ा करना चाहता है, उसे जानबूझकर सुविधा के दायरे कको लांघते हुए, कार्यधिक्य या तनाव-आधिक्य की आदत का विकास करना होता है और उस प्रक्रिया में दबाव व तनाव को सहने के लिए तत्पर होना पड़ता है। वस्तुत:, इस प्रकार थोड़ा - थोड़ा, अदिक प्रयास करने से, न थोड़े अभ्यास के उपरान्त, सुगमता व आराम की भावना को वह जन्म देेता है। उदाहरणार्थ, ठीक इसी प्रकार से ही तो एक पहलवान अधिक-से -अधिक वज़न, सुगमता और शालीनता के साथ उठा लेने की शारीरिक शक्ति और क्षमता स्वयं में विकसित कर लेता है।
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Publication Year 2014
VRM Code 3090
Edition 1
Pages 48
Volumes 1
Format Soft Cover
Author Nivedita Raghunath Bhide
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