युगनायक

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प्रा. शैलेन्द्रनाथ धर का योगदान प्रा. शैलेन्द्र धर इन्दौर के होलकर महाविद्यालय में इतिहास विभाग के प्रमुख थे। उन्होंने तीन खण्डों में स्वामी विवेकानन्द का विस्तृत, तुलनात्मक एवं वस्तुनिष्ठ चरित्र लिखा है। इसे विवेकानन्द केन्द्र ने प्रकाशित किया है। इसकी कुल पृष्ठ संख्या १९५५ है। सन् १९७५ में इस ग्रन्थ का प्रथम संस्करण प्रकाशित हुआ था। सन् २००५ में इसका तीसरा संस्करण प्रकाशित हुआ। इस ग्रन्थ को प्रारम्भ से पढ़ना काफी ज्ञानप्रद अनुभव है। लेकिन सभी के लिए इतना बड़ा ग्रन्थ पढ़ने का समय निकालना मुश्किल है। इसलिए विवेकानन्द केन्द्र ने इसका एक संक्षिप्त संस्करण प्रकाशित किया है। इसका उद्देश्य यह है कि यह ग्रन्थ सबके पढ़ने के लिए उपलब्ध हो सके। इसलिए विश्वासपूर्वक यह काम मुझे सौंपा है। इसके लिए मैं केन्द्र की आभारी हूँ। इस संक्षिप्त चरित्र को पढ़ने के पश्चात् यदि किसी को मूल ग्रन्थ का अघ्ययन करने की प्रेरणा मिली तो यह बहुत सन्तोष की बात होगी। सभी आयु के पाठकों के लिए स्वामीजी का चरित्र ग्राह्य एवं ज्ञानप्रद है। परन्तु इस देश के युवा वर्ग के लोगों के लिए विशेषरुप से ज्ञानप्रद और मार्गदर्शी है। स्वामीजी ने कहा था, "मृत्यु के जबड़े में प्रवेश करने वाले, अथाह सागर तैरकर पार करने वाले बुध्धीमान और साहसी युवक मुझे चाहिए। इसी एक उद्देश्य के दीवाने बनो। यह दीवानापन दूसरों को भी लगने दीजिए। फिर उसकी रचना और उसका उत्थान हम अपने ढंग से करें। जगह-जगह केन्द्रों की स्थापना किजिए और अपने कार्यों में अधिक से अधिक व्यक्तियों का समावेश कीजिए। पवित्रता के तेज से दमकने वाले, ईश्वर के प्रति श्रद्धा का कवच धारण करने वाले, सिंह का सामर्थ्य रखने वाले, दीन-दलितों के लिए हदय में अपार करुणा की भावना रखने वाले हजारों युवक-युवती हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक सर्वत्र संचार करेंगे। वे मुक्ति, सेवा, सामाजिक उत्थान तथा सभी प्रकार की समानता का आह्वान करेंगे और यह देश पुरुषार्थ से भर उठेगा। " - स्वर्णलता भिशीकर (ज्ञानप्रबोधिनी - सोलापुर)
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Publication Year 2013
VRM Code 1744
Edition 1
Pages 84
Volumes 1
Format Soft Cover
Author Dr. Swarnalata Bhishikar
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