ध्येय मार्ग

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हमारे कार्यों पर भारत का भविष्य निर्भर है। देखिए वह भारतमाता तत्परता से प्रतीक्षा कर रही है। वह केवल सो रही है। अत यदि भारत को महान् बनाना है, उसका भविष्य उज्जवल करना है, तो इसके लिए आवश्यकता है संगठन की, शक्ति-संग्रह की और बिखरी हुई इच्छाशक्ति को एकत्र कर उसमें समन्वय लाने की। अर्थवेद संहिता की एक विलक्षण ऋचा याद आ गयी, जिसमें कहा गया है, "तुम सब लोग एकमन हो जाओ, सब लोग एक ही विचार के बान जाओ। ..... एक मन हो जाना ही समाज गठन का रहस्य है। ... बस, इच्छाशक्ति का संचय और उसका समन्वय कर उन्हें एकमुखी करना ही वह सारा रहस्य है। -स्वामी विवेकानन्द
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Publication Year 2006
VRM Code 1707
Edition 1
Pages 64
Volumes 1
Format Soft Cover
Author Nivedita Raghunath Bhide
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