केन्द्र दर्शन - एकनाथजी के पत्रों से
₹110.00
In stock
SKU
BBB00009
मौखिक शब्द के बाद सम्प्रेषण का सर्वाधिक प्रभावकारी माध्यम पत्र है। कई लोग सूचनाओं के प्रसार के लिए पत्र लिखते हैं। महापुरुष, राष्ट्र निर्माता, समाजिक निर्माता, बड़े आन्दोलनों के नायक आदि सभी महान पत्र लेखक हैं।ऐसे पत्र विश्व - साहित्य की एक उल्लेखनीय शाखा हैं। पत्र लेखक के व्यक्तित्व और काल से परे, उनकी प्रासंगिकता की वजह से, ऐसे पत्रों का महत्व है। स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गांधीजी, श्री गुरुजी, हमारे देश के उन महापुरुषों में हैं। जिनके पत्रों को उच्च कोटि के साहित्य का दर्जा प्राप्त हैं। माननीय एकनाथजी रानडे द्वारा लिखे गए पत्रों की तादाद, विभिन्नता और उनके प्रभाव को ध्यान में लेते वे भी इसी श्रेणी में आते हैं।
"केन्द्र दर्शन: एकनाथजी के पत्रो सें" माननीय एकनाथजी द्वारा व्यक्तिश: लिखे गए बाईस हजार से अधिक पत्रों से चुने गए २४२ पत्र संकलित है। उनका विस्तार १९६३ से लेकर १९८२ तक के लगभग २० वर्ष के काल का है। समाज के हर स्तर के लोगों को लिए थे, उनकी प्रकृति, मांग और बाध्यताओं को भी वे प्रदर्शित करते हैं। निसंदेह, इनका दायरा विसृस्त होकर इनमें विभिन्नता और प्रस्तुतिकरण की शैली का वैशिष्ठ्य है। लेकिन इतनी सारी व्यापकता के होने पर भी उनमें समान पृष्ठभूमी, एकाग्रता और एक सुनिश्चत ध्येय के निस्संदिग्ध दर्शन होते हैं। उक्त पुस्तक के प्रांजल हिन्दी अनुवाद के लिए हम केन्द्र कार्यकार्ता श्री सुरेश प्रभावलकर के हार्दिक आभारी हैं।
Publication Year | 2005 |
---|---|
VRM Code | 1628 |
Edition | 2 |
Pages | 368 |
Volumes | 1 |
Format | Soft Cover |
Author | Ma.Eknath Ranade |
Write Your Own Review