कार्यकार्ता का गुण और विकास
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जब हमारा गुण विकास करना है, तो ये तीन मूलभूत बातें ध्यान में रखनी पड़ेगी कि मनुष्य में शरीर मन बुध्दि और समय है। दुनिया में मानव उसकी विशेषता है। और अगर मन निश्चय कर ले, तो सत्य क्या है, वह समझ सकता है। उसको हमारे यहाँ कहते है, नर का नारायण बन सकना तो हमारे यहाँ एक शब्द है आत्मकल्याण। तो नर देह किसलिए है ? आत्मकल्याण करने के लिए। आत्म का कल्याण यानि क्या? सब में आत्मा है कि नहीं है ? तो मुझे अच्छा लगता और जिस के कारण मुझे अच्छा लगता है। वैसे उसके कारण अन्य को भी आनंद होता होगा। अत: जिसमें मुझे आनंद है, वही करना। और मुझे जिसमें दुख है, वह नहीं करना।
Publication Year | 2014 |
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VRM Code | 3008 |
Edition | 1 |
Pages | 32 |
Volumes | 1 |
Format | Soft Cover |
Author | Madhubhai Kulkarni |
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