स्वामी विवेकानन्द का शंखनाद
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स्वामी विवेकानन्द के ऊर्जाप्रदायी वाक्यों ने सदा ही भारत एवं विश्वभर के युवामानस को प्रेरित किया है। इन वचनों की चिनगारी ने स्वतन्त्रता - पूर्व क्रान्तिज्वाला को प्रज्वलित किया था। अनेक सेवाकार्यों को उत्प्रेरणा एवं बल प्रदान करनेवाले ये सुविचार अन्तस की गहराई से उद् भूत मन्त्रों के समान पवित्र हैं । निराश मन की कर्म-प्रेरणा बननेवाले ये शब्द-स्फुल्लिंग नित्य मननीय, सदा स्मरणीय एवं पुन:-पुन: पठनीय हैं।
Publication Year | 1992 |
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VRM Code | 1540 |
Edition | 3 |
Pages | 32 |
Volumes | 1 |
Format | Soft Cover |
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