विवेकानंद कन्या भगिनी निवेदिता

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भगिनी निवेदिता मार्गरेट नोबल वंश से गौरी तथा जन्म से ही आयरिश थी। स्वामी विवेकानंद की संपर्क में आने के बाद 30 वर्ष की अपनी कृपा यू मे उनका शिष्य वह ग्रहण कर भारतवर्ष पधारी। स्वामी जी ने उन्हें निवेदिता नाम दिया उसका अर्थ जीवन समर्पित निवेदित किया ऐसा है अभी देने अपने में आमूलचूल परिवर्तन कर हिंदू संस्कृति को पूर्ण मनोयोग से अपनाया तथा सन्यास व्रत की दीक्षा ली। प्लेग के प्रादुर्भाव के समय कोलकाता के रास्ते झाड़ू से बुहारकर साफ़ किए तथा रुग्ण सेवा भी की। एक कन्या पाठशाला स्थापित कर महिला शिक्षा का भी कार्य किया। ब्रिटिश राज में क्रांतिकारियों का मार्गदर्शन कर उन्हें प्रोत्साहित किया। रविंद्रनाथ, योगी अरविंद, जगदीश चंद्र, ना. गोखले ऐसे अनेक व्यक्तियों के साथ उनका प्रगाढ़ स्नेह रहा। हिंदू संस्कृति की विशेषताओं को ध्यान में रखकर लेखन किया। बहुतबार एकांत में जाकर साधना की। भगिनी को केवल 44 वर्ष की आयु प्राप्त हुई थी उसमें से 13 वर्ष भारतवर्ष में रही। उस दौरान उनके द्वारा संपादित कार्य का लेखा जोखा इस पुस्तक में लिया गया है।
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Publication Year 2017
VRM Code 3196
Edition 1
Pages 212
Format Soft Cover
Author Vinayak Vishwanath Pendashe
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