विवेकानन्द के एकनाथ

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स्वामीजी का एक स्वप्न था कि पवित्रता का तेज, ईश्वर के प्रति श्रध्धा तथा मृगेन्द्र के सामर्थ्य से युक्त, दीन-दलितों के प्रति अपार करुणा लिए हुए सहस्त्र युवक-युवती हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक सर्वत्र संचार करते हुए मुक्ति, सेवा अौर सामाजिक उत्थान तथा सभी प्रकार के समानता का आह्वान करेंगे तभी यह देश पौरुष से युक्त होकर जगमगा उठेगा। माननीय एकनाथजी को स्वामीजी का स्वप्न पूर्ण करना था। इसीलिये उन्होंने शिला-स्मारक के दुसरे चरण में विवेकानन्द केन्द्र - एक अध्यात्म - प्रेरित सेवा संगठन - का सूत्रपात किया। विवेकानन्द केन्द्र जीवनव्रतियों का एक गैर-संन्यासी संगठन है। संन्यासियों का वेश धारण किये बगैर संन्यासियों की वृति धारण करने वलों को जीवनव्रती कहते हैं।
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Publication Year 2015
VRM Code 1662
Edition 1
Pages 104
Volumes 1
Format Soft Cover
Author Shashikant Ramchandra Mandake
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